इसके बाद समग्र ऐश्वर्य, धर्म, यश, लक्ष्मी, ज्ञान और वैराग्य से परिपूर्ण इष्टदेव भगवान् का ध्यान करे और अपने को भी तद् रूप ही चिन्तन करे तत्पश्चात् विद्या, तेज, और तपः स्वरूप इस कवच का पाठ करे ।।
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लोगों के बीच प्रेम एक ऐसे अंतर्संबंध का द्योतक है, जो एक दूसरे की संगति के लिए लालायित होने, अपनी दिलचस्पियों और आकांक्षाओं को तद् रूप करने, एक दूसरे को शारीरिक और आत्मिक रूप से समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है।